उद्योग व्यापार मंडल (UVM) ने आबकारी एवं कराधान विभाग की मनमानी पर चिंता जताई; निष्पक्ष जांच की मांग

UVM Voices Concern over Arbitrary Actions
चंडीगढ़, 9 अक्टूबर 2025: UVM Voices Concern over Arbitrary Actions: उद्योग व्यापार मंडल, चंडीगढ़ (UVM) ने चंडीगढ़ प्रशासन के आबकारी एवं कराधान विभाग (स्टेट जीएसटी विंग) द्वारा व्यापारियों को भेजे जा रहे मनमाने और अत्यधिक टैक्स डिमांड नोटिसों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है और इस पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
मंडल के अध्यक्ष कैलाश जैन और महासचिव नरेश कुमार गोयल ने प्रशासक को ज्ञापन भेजकर बताया कि शहर के काफी व्यापारियों को ₹10 लाख से ₹50 लाख तक — और कुछ मामलों में करोड़ों रुपये तक — के टैक्स डिमांड नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जबकि वास्तविक देय कर इन राशियों से काफी कम है।
उन्होंने आगे कहा कि कई मामलों में वास्तविक देय टैक्स राशि बहुत कम है, फिर भी विभागीय स्तर पर बात करने के बाद मामूली राशि (₹10,000 से ₹50,000 तक) में समझौता कर दिया जाता है। नोटिस राशि और टैक्स सेटलमेंट राशि में यह बड़ा अंतर सिस्टम की पारदर्शिता और ईमानदारी पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
जो व्यापारी विभागीय स्तर पर समाधान नहीं करवा पाते, उन्हें अपील के लिए उच्च अधिकारी के पास जाना पड़ता है, लेकिन इसके लिए उन्हें विवादित राशि का 25%–30% अग्रिम जमा करना पड़ता है, जिससे व्यापारियों पर अत्यधिक आर्थिक दबाव पड़ रहा है।
UVM ने महामहिम राज्यपाल एवं प्रशासक से अनुरोध किया है कि पिछले वर्ष में जारी नोटिसों की संख्या, राशि और वास्तविक वसूली की पूरी जानकारी जुटाई जाए और जिम्मेदार कर्मचारियों / अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच की जाए। मंडल ने यह भी मांग की है कि भविष्य में मनमाने नोटिस जारी करने और उन्हें वापस लेने की प्रवृत्ति रोकने के लिए स्पष्ट और पारदर्शी दिशा-निर्देश जारी किए जाएँ।
कैलाश जैन ने यह भी कहा, “चंडीगढ़ के व्यापारी इन अनुचित प्रथाओं से परेशान और हतोत्साहित महसूस कर रहे हैं।इस मामले में प्रशासक का तुरंत हस्तक्षेप व्यापारियों का विश्वास बहाल करने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।”
उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि महामहिम श्री गुलाब चंद कटारिया के हस्तक्षेप से चंडीगढ़ में पारदर्शिता, जवाबदेही और ‘Ease of Doing Business’ को मजबूती मिलेगी।